Sugarcane Farming इस वैराइटी को बोने से होगी मोटी कमाई
गन्ने की बुआई का सीजन शुरू होने वाला है. 15 फरवरी से 15 मार्च तक मुख्य रूप से गन्ना की बुआई का समय होता है. ऐसे में गन्ना किसानों को कम लागत में ज्यादा मुनाफा कमाने की चाहत होती है. इसके लिए उन्हें गन्ने बीच के चयन पर ध्यान देने की जरुरत है. राजधानी लखनऊ स्थित गन्ना अनुसंधान संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक बरसाती लाल ने बताया कि किसान अभी से परंपरागत बीज के बजाए विकल्प के रूप में दूसरों बीजों की पहचान कर लें. उन्होंने बताया कि गन्ने की Co 0238 वैराइटी किसानों की पसंदीदा है. Sugarcane Farming खासकर उत्तर प्रदेश में खूब लगाया जाता है. यहां पर करीब 87 फीसदी इलाके में यही वैराइटी बोई जाती है, जो बंपर पैदावार देता है. लेकिन इस वैराइटी में बीमारी लगने की आशंका अब खूब रहती है.
प्रधान वैज्ञानिक के मुताबिक, इस किस्म के गन्ने में लाल निशान की बीमारी लग रही है. इसकी शुरुआत पूर्वी यूपी से हुई थी. इसके बाद मध्य यूपी को भी इसने अपनी चपेट में लिया है और पश्चिमी यूपी में भी गन्ने में इस तरह की बीमारी पायी जा रही है. इस बीमारी के बाद गन्ना पूरी तरह से सूख जाता है और किसान की पूरी फसल बर्बाद हो जाती है. इसलिए गन्ना किसानों को इस किस्म के बीज बोने से बचना चाहिए.
बीमारी लगने की आशंका कम
उन्होंने आगे बताया कि किसानों को विकल्प के रूप में Co s13235 (शाहजहांपुर की वैराइटी) या Colk 14201 (लखनऊ की वैराइटी) बोना चाहिए. इस किस्म में Co 0238 (करनाल की वैराइटी) जैसी पैदावार भले ही न मिले, लेकिन बीमारी लगने की आशंका कम से कम होगी. हालांकि, केवल इस किस्म के बीज बोने से लाभ होने वाला नहीं है. गन्ने में बीमारी लगने के बाद वहां की मिट्टी भी खराब हो जाती है. Sugarcane Farming इसलिए उसे शोधन करके उपजाऊ बनाना चाहिए. इसके बाद विकपल्प के रूप में दूसरे किस्म के बीज बोने चाहिए. वहीं गन्ना की फसल भी जल्दी तैयार हो जाती है.
लाइन की दूरी का रखें विशेष ध्यान
गन्ना अनुसंधान संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक बरसाती लाल बताते हैं कि गन्ने की बुवाई के दौरान सावधानी यह रखनी है कि लाइन से लाइन की दूरी करीब 4 फीट से कम ना हो और 20 सेंटीमीटर तक की गहराई पर बुआई की जाए जिससे गन्ने का जमाव अच्छा होगा. उन्होंने कहा कि गन्ने की बुवाई के दौरान किसानों को 100 Kg प्रति हेक्टेयर के हिसाब से यूरिया और 500 Kg सिंगल सुपर फास्फेट का इस्तेमाल करना होगा. इसके अलावा 100 किलो MOP, 25 किलो जिंक सल्फेट और 25 किलो रीजेंट का भी इस्तेमाल करें. इन सभी उर्वरकों को कूड़ में डालने के बाद मिट्टी में अच्छे से मिला दें.
जैविक उर्वरकों का भी करें इस्तेमाल
बरसाती लाल ने बताया कि कार्बनिक और रासायनिक उर्वरक के साथ-साथ जैविक उर्वरक का भी इस्तेमाल करना बेहद जरूरी है. गन्ने की बुवाई के दौरान 5 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर के हिसाब से बवेरिया बेसियाना मेटाराइजियम एनिसोप्ली और 10 किलो प्रति हेक्टेयर के हिसाब से पीएसबी (Phosphorus Solubilizing Bacteria) और 10 किलो यह एजोटोबैक्टर का भी इस्तेमाल कर सकते हैं. उसके बाद जैविक उर्वरकों को मिट्टी में मिला दें Sugarcane Farmingऔर सिंगल बड़ या दो बड़ वाले गन्ने के बीज को कूड़ में रखकर 5 सेंटीमीटर तक मिट्टी की परत से ढक दें. 20 से 25 दिन बाद गन्ने का पूरा जमाव हो जाएगा और करीब एक महीने बाद गन्ने में हल्की सिंचाई कर दें. सिंचाई के वक्त करीब 70 किलो यूरिया प्रति हेक्टेयर के हिसाब से छिड़काव कर दें.
लाइन की दूरी का रखें विशेष ध्यान
शरदकालीन गन्ने की बुवाई के दौरान सावधानी यह रखनी है कि लाइन से लाइन की दूरी करीब 4 फीट से कम ना हो और 20 सेंटीमीटर तक की गहराई पर बुवाई की जाए जिससे गन्ने का जमाव अच्छा होगा. गन्ना शोध परिषद के वैज्ञानिक श्री प्रकाश यादव ने बताया कि गन्ने की बुवाई के दौरान किसानों को 100 Kg प्रति हेक्टेयर के हिसाब से यूरिया और 500 Kg सिंगल सुपर फास्फेट का इस्तेमाल करना होगा. इसके अलावा 100 किलो MOP, 25 किलो जिंक सल्फेट और 25 किलो रीजेंट का भी इस्तेमाल करें. इन सभी उर्वरकों को कूड़ में डालने के बाद मिट्टी में अच्छे से मिला दें.