Wheat News गेहूं के फूल का रोग कैसे होता है? कारण, लक्षण और उपाय
रबी सीजन की प्रमुख फसल गेहूं में अब दाने आने लगे हैं. ऐसे में इन दिनों गेहूं की फसल बहुत ही ध्यान रखने वाले दौर में होती है. वहीं इस मौसम में वैज्ञानिकों का मानना होता है कि किसान मौसम को ध्यान में रखते हुए गेहूं की फसल में रोगों, विशेषकर रतुआ की निगरानी करते रहें क्योंकि यही समय गेहूं की फसल के लिए महत्वपूर्ण होता है. असल में गेहूं की फसल में इस समय कई तरह के रोग लगने का खतरा रहता है,Wheat News जिसमें रतुआ रोग के अलावा करनाल बंट भी शामिल है. ये रोग गेहूं की फसल के लिए काफी खतरनाक होते हैं. इसके प्रभाव से उत्पादन और क्वालिटी में गिरावट आ जाती है, जिससे किसानों को काफी नुकसान होता है. ऐसे में आइए जानते हैं किसान इन रोगों से अपनी फसल को कैसे बचाएं.
क्या होता है रतुआ रोग
इस रोग को आसान भाषा में रतुआ या रस्ट कहा जाता है. गेहूं की फसल में ये रोग बहुत तेजी से लगता है. यह गेहूं की फसल में लगने वाला एक प्रमुख रोग है. सीधे शब्दों में कहा जाए तो रतुआ रोग तीन प्रकार का होता है जिसमें पीला रतुआ, भूरा रतुआ, काला रतुआ शामिल है.
रतुआ रोग के लक्षण
देश में हर साल पीला रतुआ से गेहूं की फसल प्रभावित होती है. इस रोग में गेहूं की पत्तियों की ऊपरी सतह पर पीले रंग की धारियां दिखाई देने लगती हैं.Wheat News यह रोग धीरे-धीरे पूरी पत्तियों को अपने संक्रमण से पीला कर देता है. वहीं बात करें भूरे रतुआ कि तो ये तापमान के बढ़ने पर तेजी से फसलों पर असर दिखाता है. साथ ही काला रतुआ भी तापमान के बढ़ने पर तेजी से फैलता है और तने को फसल के तने को कमजोर कर देता है.
रतुआ रोग से बचाव
यदि आपके खेत में एक या दो जगह पीला रतुआ रोग के लक्षण वाला पौधा नजर आता है, तो उन पौधों को उखाड़ कर मिट्टी में दबा देना चाहिए. पीला रतुआ रोग के लक्षण दिखाई देते ही फसल में फफूंद नाशक प्रोपिकोनाजोल का छिड़काव करें. Wheat Newsवहीं भूरा रतुआ रोग से बचने के लिए फसल चक्र अपनाएं और फफूंदनाशक का छिड़काव करें. इसके अलावा कार्बेन्डाजिम के घुलनशील चूर्ण से खेतों का उपचार करें. साथ ही काला रतुआ रोग के लक्षण नजर आते ही अनुशंसित फफूंद नाशक को स्प्रे करें.
करनाल बंट के लक्षण
करनाल बंट रोग को गेहूं का कैंसर कहा जाता है. यह बीज, मिट्टी और हवा से जनित बीमारी है. इसके लक्षण फूलों वाली अवस्था में दिखाई देते हैं. वहीं इसके लगने पर दाने के चारों ओर काला पाउडर दिखाई देता है. साथ ही दानों में अजीब सी खुशबू आती है. जो फसलों के लिए खतरनाक होती है.
करनाल बंट से बचाव
गेहूं की फसल को करनाल बंट के प्रकोप से बचाने के लिए गेहूं से बाली निकलने की अवस्था में सिंचाई नहीं करनी चाहिए. फसल में करनाल बंट की रोकथाम के लिए प्रोपिकोनाजोल या टेबुकोनाजोल का घोल पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए. किसानों को इसका छिड़काव फरवरी के महीने में करना चाहिए.
गेहूं के फूल का रोग
गेहूं की फसल में रतुआ और करनाल बंट जैसे रोग बहुत नुकसानदायक होते हैं. इन रोगों के कारण गेहूं के दाने कमजोर और बेकार हो जाते हैं. इससे गेहूं की उत्पादकता और गुणवत्ता पर बुरा असर पड़ता है. इस लेख में हम आपको गेहूं के फूल का रोग के बारे में बताएंगे कि यह कैसे होता है, इसके लक्षण कौन-कौन से हैं और इससे बचने के लिए क्या-क्या करना चाहिए.
गेहूं के फूल का रोग कैसे होता है?
गेहूं के फूल का रोग एक प्रकार का फफूंदी रोग है, जो गेहूं के फूलों, तनों और दानों पर लगता है. इस रोग को रतुआ या रस्ट भी कहते हैं. इस रोग के तीन प्रकार होते हैं: पीला रतुआ, भूरा रतुआ और काला रतुआ. इनमें से पीला रतुआ सबसे आम और खतरनाक होता है. इस रोग का कारण एक फफूंदी है, जो पवन, पानी, बीज और मिट्टी के माध्यम से फैलता है. इस फफूंदी के बीज गेहूं के फूलों पर जमा होते हैं और उन्हें पीला कर देते हैं. इससे गेहूं के दाने विकसित नहीं हो पाते हैं और उनमें पोषक तत्व कम हो जाते हैं.