Sugarcane Crop गन्ना पेड़ी प्रबंधन करना सीखें
गन्ने में फसल की पहली कटाई के बाद उसके बीज टुकड़ों से होने वाली दूसरी फसल को पेड़ी कहते हैं। गन्ने की दूसरी फसल की पैदावार सामान्यतः पहली फसल की पैदावार से कम होती है। लेकिन पेड़ी की फसल में पैदावार कितनी हो सकती है, यह पूरी तरह से फसल की देख-रेख और उचित खाद प्रबंधन पर निर्भर करता है। गन्ना एक लंबी अवधि वाली फसल है। जिसके कारण देख-रेख एवं उर्वरक की आवश्यकता भी अधिक होती है। पेड़ी की फसल में यह आवश्यकता और भी अधिक बढ़ जाती है। अगर आप भी गन्ने की पेड़ी में अच्छी बढ़वार पाना चाहते हैं तो खाद प्रबंधन एवं ध्यान देने वाली अन्य बातों की जानकारी यहां से देखें।
पेड़ी की फसल में ध्यान रखने योग्य बातें
-
बेहतर फुटाव के लिए फसल की कटाई जमीन से करें।
-
पहली फसल की कटाई के बाद खेत से पत्तियां हटा लें और तुरंत सिंचाई कर दें।
-
यदि गन्ने के बीच 3 फीट से अधिक स्थान खाली हो तो, उसी किस्म के अंकुरित बीज लगाकर खाली जगह भर दें।
-
यदि पहली फसल पर कीट और रोगों का प्रकोप रहा हो तो, खेत में कीटनाशक का छिड़काव जरूर करें।
-
मानसून से पहले खूड़ों पर मिट्टी चढ़ा लें।
-
लाल सड़न, उकठा और कंड जैसे रोग लगे होने पर पेड़ी का प्रयोग न करें।
-
खेत में नमी बनाए रखने और खरपतवार नियंत्रण के लिए सूखी पत्तियों को कतारों के बीच फैला दें।
-
पत्तियों में रोग और कीट के लक्षण होने पर उन्हें जला दें।
पेड़ी में खाद प्रबंधन
-
खेत साफ करने के बाद प्रति एकड़ खेत में 5 टन गोबर की खाद डालें।
-
एक एकड़ खेत में 90 किलोग्राम नाइट्रोजन एवं 20 किलोग्राम फास्फोरस की मात्रा का प्रयोग करें।
-
नाइट्रोजन को तीन भागों में बाटें। पहला भाग कटाई के बाद एवं बाकी की मात्रा को 2 महीनों के अंतराल पर डालते रहें।
-
मिट्टी में जिंक की कमी होने पर 10 किलोग्राम जिंक सल्फेट की मात्रा को एक एकड़ खेत के अनुसार डालें।
-
मिट्टी की जांच अवश्य करा लें और आवश्यकता के अनुसार ही खाद का प्रयोग करें