Sugarcane Crop कृषि ज्ञान – आइये जानते हैं पेडी गन्ने की ग्रोथ कैसे बढ़ाए
एक बार बोये गए गन्ने को काट लेने के बाद उसी से दूसरी फसल लेने को पेड़ी या मोढ़ी कहते हैं। गन्ने की पेड़ी फसल से पौधा या नीलफ फसल की तुलना में कम लागत से भी अच्छी पैदावार ली जा सकती है। खंड कृषि अधिकारी डा.महावीर सिंह मलिक बता रहे हैं कि क्या उपाय करके किसान गन्ने की पेड़ी फसल की उन्नत तकनीक अपनाकर पौधा फसल से दो गुना तक अधिक उपज ले सकते हैं।
पेड़ी रखने का समय
सर्दी में काटी गई पौधा फसल से ली जाने पेड़ी फसल का फुटाव कम आता है।Sugarcane Crop इसलिए गन्ने की फरवरी-मार्च में ही काटी गई फसल की पेड़ी से अधिक पैदावार मिलती है।
पत्तियां हटाना
फसल की कटाई जल्दबाजी में ऊपर से न करें। कटाई के बाद खेत से पत्तियां निकालकर अलग कर दें। यदि फसल बीमारी रहित रही हो तो सिंचाई के बाद इन पत्तियों को गुड़ाई करके खेत में एकसार फैला दें। यदि फसल में कोई प्रकोप रहा हो तो पत्तियां जला दें।
सिंचाई
पहली फसल कटाई के बाद पत्तियां खेत से हटाकर तुरंत सिंचाई कर दें। बत्तर आने पर ठुंठों की कटाई तथा खेत की गुड़ाई के बाद आवश्यकतानुसार सिंचाई करते रहें।
खाद व उर्वरक
पेड़ी फसल में छह से आठ टन गोबर की गली सड़ी खाद प्रति एकड़ डालें। 90 किग्रा नत्रजन तथा फास्फोरस की कमी वाले खेतों में 20 किग्रा शुद्ध फास्फोरस प्रति एकड़ डालें।
खाली स्थान भरना
पेड़ी गन्ने के खूड़ों में यदि तीन फुट से ज्यादा खाली जगह हो तो उसमें उसी किस्म के गन्ने की अंकुरित पोरियों तथा गन्ना के झुंडों से खाली जगह भर देनी चाहिए।
सफेद पत्तियां हटाना
सफेद पत्तियां लौह तत्व की कमी का लक्षण हैं। इसके लिए एक किग्रा फेरस सल्फेट तथा चार किग्रा यूरिया 200 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति एकड़ छिड़काव करना चाहिए।
कीट नियंत्रण
दीमक तथा कनसुआ प्ररोह बेधक कीट से बचाव के लिए ढाई लीटर कलोरोपाइरीफोस 20 प्रतिशत को सिंचाई के साथ लगाएं या रेती में मिलाकर खेत में एकसार छिड़काव कर दें। काली कीड़ी नामक कीट की रोकथाम के लिए 550 किली इंडोसल्फान 35 या डाइकलोरोवास 160 मिली को 10 किग्रा यूरिया के साथ 400 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ छिड़काव करें। अंगोला बेधक कीट की रोकथाम के लिए फोरेट 10 जी की आठ किग्रा मात्रा खाद के साथ मिलाकर प्रति एकड़ डालकर सिंचाई करें। बीमारी ग्रस्त पौधों को निकालकर नष्ट करते रहें।
गन्ने की पेड़ी में पलवार बिछाकर जल बचत
गन्ने की कटाई पश्चात सूखी पत्तियों को खेत के दोनों किनारों पर इकट्ठा कर लें।
यदि खेतों में ठूंठ हों तो उनकी छंटाई करें।
गन्ने की कटाई व ठूंठों की छंटाई के पश्चात सिंचाई कर दें।
गन्ने की पुरानी जड़ों की छंटाई करने के लिए देसी हल या पेड़ी प्रबंधन मशीन से जुताई अथवा कुदाल से गुड़ाई करें
गन्ने की पंक्तियों में यदि रिक्त स्थान हों तो पहले से अंकुरित गन्ना पौध की खाली स्थानों में रोपाई कर दें।
पंक्तियों के किनारे-किनारे 140 कि.ग्रा. यूरिया, 130 कि.ग्रा. डीएपी और 100 कि.ग्रा. म्यूरेट ऑफ पोटाश प्रति हैक्टर की दर से डाल दें।
गन्ने की एकांतर पंक्तियों के बीच की खाली जगह में सूखी पत्तियों की 8-10 सें.मी. मोटी परत बिछा दें।
पांच लीटर क्लोरोपायरीपफॉस 20 ई.सी को 1500-1600 लीटर पानी में मिलाकर घोल तैयार कर लें।
उपरोक्त बने घोल को स्प्रेयर अथवा हजारे की सहायता से बिछाई गई सूखी पत्तियों पर छिड़क दें, जिससे कि गन्ने को दीमक और सैनिक कीट से बचाया जा सके।
पेड़ी की शुरुआत करने से एक माह बाद प्रथम कल्ले निकलने की अवस्था में दूसरी सिंचाई करें।
सिंचाई करने के बाद खेत में उचित ओट आ जाने पर 100 कि.ग्रा. यूरिया प्रति हैक्टर की दर से डाल दें।
दूसरी सिंचाई के एक माह बाद तीसरी सिंचाई कर दें।
पंक्तियों के बीच के रिक्त स्थान पर जहां सूखी पत्तियां नहीं बिछाई गई है, वहां आवश्यकतानुसार निराई-गुड़ाई करते रहें।
तीसरी सिंचाई के 20-22 दिनों बाद चौथी सिंचाई कर दें।
जून के मध्य में 100 कि.ग्रा. यूरिया प्रति हैक्टर की दर से गन्ने की पंक्तियों के किनारे-किनारे डाल दें और गुड़ाई कर मृदा में मिला दें।
गन्ने की फसल को चोटीबेधक कीट से बचाने के लिए जून के अंतिम सप्ताह में 33 कि.ग्रा. फ्रयूराडॉन 3 जी प्रति हैक्टर की दर से गन्ने की पंक्तियों के किनारे-किनारे डालें।
वर्षा ऋतु आने से पहले गन्ना थालों में मिट्टी चढ़ाएं।
सिंतबर में आमने-सामने की पंक्तियों के गन्ना थानों की आपस में कैंचीनुमा बंधई करें।
अगस्त-सितंबर में गन्ने की निचली सूखी पत्तियों को निकाल दें।
उपयुक्त समय पर जमीन की सतह से गन्ने को काटें, जिससे उपज का नुकसान न हो और आगे आने वाली पेड़ी भी अच्छी हो।