गन्ने की खेती का मास्टर निकला ये किसान : बता दे की लखीमपुर खीरी के किसान दलजिंदर ने बताया कि आमतौर पर गन्ने की बुवाई जमीन में क्षैतिज रूप से की जाती है। लेकिन ‘वर्टिकल बड’ तकनीक में गन्ने को गड्ढे के ऊपर बोया जाता है, वह भी वर्टिकल बंडलों के रूप में। इसके पीछे तर्क यह है कि गन्ने की फसल को तेज धूप की जरूरत होती है। इसके विकास के लिए हवा, पानी, जमीन और नमी का प्रबंधन बहुत जरूरी है।
गन्ने की खेती का मास्टर निकला ये किसान
उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में किसान दलजिंदर ने ‘वर्टिकल बड’ तकनीक से गन्ने की खेती शुरू की है। किसान का दावा है कि इस तकनीक से कम लागत में कम बीज से बेहतर मुनाफा कमाया जा सकता है।
लखीमपुर जिले को चीनी का कटोरा कहा जाता है, जिले में अधिकतर किसान लगातार गन्ने की खेती करते हैं। वहीं दूसरी ओर किसान नई तकनीक से खेती कर रहे हैं। किसानों ने ‘वर्टिकल बड’ तकनीक से गन्ने की खेती कर किसानों को नई दिशा दी है। वर्टिकल बड तकनीक से गन्ने की बुवाई लंबवत की जाती है। इस तकनीक से गन्ने की एक आंख से करीब 20 गन्ने निकलते हैं, जो किसानों के लिए मील का पत्थर साबित हो रहा है। इस तकनीक से फसल में 70 फीसदी तक कम पानी की जरूरत होती है।
क्यों करते हैं वर्टिकल बुवाई?
किसान दलजिंदर ने बताया कि आमतौर पर गन्ने की बुवाई जमीन में क्षैतिज रूप से की जाती है। लेकिन ‘वर्टिकल बड’ तकनीक में गन्ने को गड्ढे के ऊपर बोया जाता है, वो भी वर्टिकल बंडलों के रूप में। इसके पीछे तर्क यह है कि गन्ने की फसल को तेज धूप की जरूरत होती है। इसके विकास के लिए हवा, पानी, जमीन और नमी का प्रबंधन बहुत जरूरी है।
एक एकड़ में चार से पांच क्विंटल गन्ना बीज की होती है
बुआई गुल्ली विधि यानी ‘वर्टिकल बड’ तकनीक से गन्ना बोने के लिए सिर्फ चार से पांच क्विंटल बीज की जरूरत होती है, जबकि एक एकड़ जमीन पर साधारण उस्तरा या ट्रेंच से गन्ना बोने के लिए 35 से 40 क्विंटल गन्ना बीज की जरूरत होती है।
पानी की खपत भी 70 फीसदी कम
वर्टिकल बड अवधारणा के कारण गन्ने की फसल के लिए आवश्यक पानी की मात्रा भी काफी कम हो जाती है। पंक्तियों के बीच अधिक दूरी होने के कारण कम पानी की आवश्यकता होती है, जबकि सामान्य या ट्रेंच विधि से गन्ने की खेती में पानी की खपत अधिक होती है।