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मार्च में बंद होने के कगार पर शुगर मिल, मुनाफे का अनुमान लगाए किसान और मिल को हो रहा नुकसान
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Iगन्ने का उत्पादन कम होने से मिलों का पेराई सत्र बंद होने के कगार पर पहुंच गया है। वहीं किसान भी मुनाफे की उम्मीद लगाए हुए थे। कम उत्पादन होने से दोनों की उम्मीदों पर पानी फिर गया है।
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Iशुगर मिल दो-तीन दिनों में गन्ना एकत्रित करती है। इसके बाद मिल का संचालन हो पाता है। गन्ने की कमी से मिल का पेराई बंद होने व फिर से चालू करने में ईंधन की खपत बढ़ रही है। इससे मिल को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। पर्याप्त गन्ना न मिलने से जिले की तीनों शुगर मिल इसी माह में पेराई सत्र का समापन कर सकती है। मिलों का गन्ना पेराई जहां मई माह तक चलता था, वहां इस बार मार्च में ही पेराई सत्र समापन की स्थिति पैदा हो गई है।

Iइकबालपुर शुगर मिल ने चालू पेराई सत्र का शुभारंभ पांच नवंबर को किया था। UP NEWS मिल को जनवरी से लगातार गन्ने की कमी बनी हुई है। इससे नो केन की स्थिति बनी हुई है। मिल ने जहां पिछले साल 58 लाख क्विंटल गन्ने की पेराई की थी, वहीं वर्तमान पेराई सत्र में गन्ने की कमी के चलते मिल 34. 40 लाख क्विंटल गन्ने की पेराई ही कर पाया है। यही हाल लिब्बरहेड़ी व लक्सर शुगर मिल का भी है।
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Iलक्सर मिल ने तो पेराई सत्र की बंदी करने का पहला नोटिस भी जारी कर दिया है। इकबालपुर शुगर मिल के मुख्य महाप्रबंधक सुरेश शर्मा ने बताया कि इस वर्ष अतिवृष्टि होने से गन्ने का उत्पादन बहुत कम हो गया है। गन्ना विकास परिषद के ज्येष्ठ गन्ना विकास निरीक्षक प्रदीप वर्मा, सहायक गन्ना आयुक्त शैलेंद्र सिंह ने बताया कि वर्षा ऋतु में ज्यादा बारिश होने से गन्ने की फसल का काफी रकबा नष्ट हो गया था, इससे उत्पादन बहुत कम मिल रहा है। इसका खामियाजा किसान और मिल दोनों को भुगतना पड़ रहा है।I

गत सत्र में दो अप्रैल तक चलने वाली गांगनौली चीनी मिल के पेराई सत्र के आज शनिवार को समाप्त होने की संभावना है। गत वर्ष 14 मई तक चली देवबंद ने सात अप्रैल और 23 अप्रैल तक चली शेरमऊ के 29 मार्च तक पेराई सत्र समाप्त करने की उम्मीद है।UP NEWS  गत सीजन में जहां जिले की चीनी मिलों ने 539.76 लाख क्विंटल गन्ने की पेराई की थी वहीं इस बार इसके 465 लाख क्विंटल रहने का अनुमान है।

मार्च में बंद होने के कगार पर शुगर मिल
मार्च में बंद होने के कगार पर शुगर मिल

रोगों और अतिवृष्टि से उत्पादन प्रभावित
गन्ने की लोकप्रिय प्रजाति को-0238 पर इस बार लाल सड़न से लेकर अन्य रोगों से प्रभावित रही है। जनपद में इस प्रजाति का रकबा कुल क्षेत्रफल का 90 प्रतिशत से अधिक है। इसके अलावा जनपद में अतिवृष्टि एवं बाढ़ के चलते भी करीब सात हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल प्रभावित हुआ है। इसका गन्ना उत्पादन पर विपरीत असर पड़ा है।

मौजूदा पेराई सत्र में गत वर्ष से 74.76 लाख क्विंटल कम गन्ना पेराई कम रहने का अनुमान है। इसके चलते चीनी उत्पादन में भी 8.29 लाख क्विंटल की कमी आएगी। गत वर्ष जहां 54.05 लाख क्विंटल चीनी का उत्पादन हुआ था, वहीं इस वर्ष इसके 45.36 लाख क्विंटल रहने का अनुमान है। इसकी बड़ी वजह गन्ना प्रजाति को-0238 में लाल सड़न सहित अन्य रोगों का प्रकोप बढ़ने और अतिवृष्टि को माना जा रहा रहा है।
— सुशील कुमार, जिला गन्ना अधिकारी
— गत पांच वर्षों में गन्ना क्षेत्रफल एवं गन्ना पेराई —
पेराई सत्र ——— गन्ना रकबा ——- गन्ना पेराई
2019-20 ———100384 ———-517.38
2020-21 ———107084 ———- 508.30
2021-22 ——— 115900 ——— 530.71
2022-23 ——— 121525 ——— 539.76
2023-24 ——— 121786 ——— 465 (अनुमानित)
नोट : गन्ना विभाग के आंकड़ों के अनुसार। (क्षेत्रफल हेक्टेयर में और पेराई लाख क्विंटल) में

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